Welcome To Official Website Of Kabir Prakatya Sthali, Varanasi

About Kabir

कबीर के जीवन से संबंधित कुछ चमत्कारी घटनाएँ नीमा और नीरु का बालक कबीर का मिलना नीरु जुलाहा काशी नगरी में रहता था। एक दिन नीरु अपना गवना लेने के लिए, ससुराल गया। नीरु अपनी पत्नी नीमा को लेकर आ रहा था। रास्ते में नीमा को प्यास लगी। वे लोग पानी पीने के लिए लहर तालाब पर गए। पानी पीने के पश्चात्, नीमा जैसे ही उठी, उसने तालाब में कमल के पुष्पों पर एक अति सुंदर बालक को हाथ- पाँव मारते देखा। वह बहुत ही प्रसन्न हुई। वह तालाब के भीतर गई और बालक को अपनी गोद में लेकर बाहर आकर, नीरु के निकट गई और कहा :-
""नीरु नाम जुलाहा, गमन लिये घर जाय। तासु नारि बढ श्रागिनी, जल में बालक पाय।''
जुलाहे ने बालक को देखकर पूछा, यह किसका है और तुम कहाँ से उठाकर लाई हो ? नीमा ने कहा कि इसे उसने तालाब में पाया है। नीरु ने कहा, इसे जहाँ से लायी है, वहीं रख आ। मगर नीमा ने कहा कि इतने सुंदर बच्चे को मैं अपने पास रखुँगी। नीरु ने अपनी स्री से कहा ,मुझपर लोग हँसेंगे, कहेंगे कि गवना में मैं अपनी स्री के साथ, बालक ले आया। नीरु को तत्कालीन समाज के लोगों का डर लग रहा था। उसने कहा :-
""नीरु देख रिसवाई, बालक देतू डार। सब कुटम्ब हांसी करे, हांसी मारे परिवार।''
नीमा, नीरु की कोई बात मानने को तैयार नहीं हुई, तब नीरु उसको मारने- पीटने पर तत्पर हो गया और झिड़कियाँ देने लगा। नीमा अपनी जगह पर चुपचाप खड़ी सोच रही थी, इतने में बालक स्वयं ही बोल उठा,
"तब साहब हूँ कारिया, लेचल अपने धाम। युक्ति संदेश सुनाई हौं, मैं आयो यही काम। पूरब जनम तुम ब्राह्मन, सुरति बिसारी मौहि। पिछली प्रीति के कारने, दरसन दीनो तोहि।'
हे नीमा ! मैं तुम्हारे पूर्व जन्म के प्रेम के कारण तुम्हारे पास आया हूँ। तुम मुझको मत फेंको और अपने घर ले चलो। यदि तुम मुझको अपने घर ले गयी, तो मैं तुमको आवागमन ( जन्म- मरण ) के झंझट से छुड़ा करके, मुक्त कर दूँगा। तुम्हारे सारे दुख व संताप मैं हर लूँगा।
बालक के इस प्रकार बोलने से, नीमा निर्भय हो गयी और अपने पति से नहीं डरी। तब नीरु भी बालक को सुनकर कुछ नहीं बोला :- कर गहि बगि उठाइया, लीन्हों कंठ लगाया नारि पुरुष दोउ हरषिया, रंक महा धन पाय। वे दोनों प्रसन्नतापूर्वक बालक को लेकर अपने घर चले गए। बालक का नामकरण करने ब्राह्मण का आना
काशी के लोगों को जब मालूम हुआ कि नीरु अपनी पत्नी के साथ एक बालक भी लाया है, तो लोग जमा होकर हंसने लगे। नीरु ने तब बालक के बारे में सारी बातें सुनाई।
नीरु बालक का नाम धरवाने के लिए, ब्राह्मण के पास गया। जब ब्राह्मण अपना पत्रा लिए नाम के बारे में विचार ही रहा था कि बालक ने कहा, ऐ ब्राह्मण ! मेरा नाम कबीर है। दूसरा नाम रखने की चिंता मत करो। यह बात सुनकर वहाँ इकट्ठा सभी लोग चकित हो गए। हर तरफ इस बात की चर्चा होने लगी कि नीरु के घर में एक बच्चा आया है, वह बातें करता है। साखी :- कासी उमगी गुल श्रया, मोमिनका का घर घेर। कोई कहे ब्राह्मा विष्णु हे, कोई कह इंद्र कुबेर।। कोई कहन वरुन धर्मराय हे, कोई कोइ कह इस, सोलह कला सुमार गति, को कहे जगदीश।। काजी का नाम धरने आना
ब्राह्मण के चले जाने पर, नीरु ने काजी को बुलाया और बालक का नाम रखने के लिए कहा। काजी, कुरान और दूसरी किताबें खोलकर बालक का नाम देखने लगा। कुरान में काजी को चार नाम मिले - कबीर, अकबर, किबरा और किबरिया। ये चारों नाम देखकर काजी अपने दांतों के तले उँगलियाँ दबाने लगा। वह हैरान होकर बार- बार कुरान खोलकर देखता था, लेकिन समस्त कुरान काजी को इन्हीं चार नामों से भरा दिखाई देता था। काजी के मन में अत्यंत संदेह उत्पन्न होने लगा कि ये चारों नाम तो खुदा के हैं। काजी गंभीर चिंता में डूब गया कि क्या करना चाहिए। हमारे धर्म की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई है। इस बात को गरीबदास ने इस प्रकार कहा है:- काजी गये कुरान ले, धर लड़के का नाव। अच्छर अच्छरों में फुरा, धन कबीर वहि जाँव सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख। काशी के काजी कहै, गई दीन की टेक। जब काशी के सभी काजियों को यह समाचार मिला, तो सभी बड़े ही चिंतित हुए। वे कहने लगे कि अत्यंत आश्चर्य का विषय है कि समस्त कुरान में कबीर ही कबीर है। सभी सोचते रहे, क्या उपाय किया जाए कि इस जुलाहे के पुत्र का इतना बड़ा नाम न रखा जा सके। पुनः सभी काजियों ने कुरान खोलकर देखा, तो अब भी वही चारों नाम दिखाई दे रहा था।
काजियों द्वारा नीरु को कबीर की हत्या कर देने की सलाह देना
काशी के काजी नाम के बारे में कोई दूसरा उपाय न ढ़ूढ सकें, तो आपस में विचार करके नीरु से कहा कि तू इस बालक को अपने घर के भीतर ले जाकर मार डाल, नहीं तो तू काफिर हो जाएगा। जुलाहा काजियों की बात में आ गया और वह कबीर को मार डालने के लिए अपने घर के भीतर ले गया। नीरु जुलाहे ने कबीर के गले पर छुरी मारना शुरु कर दिया। वह छुरी गले में एक ओर से दूसरी ओर पार निकल गयी, न कोई जख्म हुआ और न ही खून का एक बूंद भी निकला। इतना ही नहीं गर्दन पर छुरी का चिंह भी नहीं था। तब कबीर बोले कि, ऐ नीरु ! मेरा कोई माता- पिता नहीं है, न मैं जन्मता हैं, न मरता हूँ, न मुझको कोई मार सकता है, न मैं किसी को मार सकता हूँ और न ही मेरा शरीर है। तुमको दिखाई देने वाला शरीर तुम्हारी भावना मात्र शब्दरुपी है। यह बात सुनकर जुलाहा और जुलाहिन अत्यंत भयभीत हुए। इसके साथ- साथ समस्त काशी में हुल्लड़ मच गया कि बालक वार्तालाप करता है।
अंत में विवश होकर, काजियों ने बालक का नाम कबीर ही रखा। कोई इसको बदल न सका।
बालक कबीर का दूध पीना
बालक कबीर नीरु के घर में कुछ खाते- पीते नहीं थे। इसके बावजूद उसके शरीर में किसी तरह की कोई कमी नहीं हो रही थी। नीरु और नीमा को इस बात पर चिंता हुई। वे दोनों सभी लोगों से पूछते- फिरते कि बालक क्यों नहीं खाता है, उसको खाना खिलाने का क्या उपाय हो सकता है ? दुध पिवे न अन्न भखे, नहि पलने झूलंत। अधर अमान ध्यान में, कमल कला फूलंत।। नीमा और नीरु की बात सुनकर प्रत्येक व्यक्तियों ने अपने- अपने विचार दिये और कई ने तो प्रयोग भी करके देखा, पर कोई लाभ नहीं ।
अंत में किसी व्यक्ति ने नीरु को सलाह दी कि रामानंद जी से मिलना चाहिए। स्वामी रामानंद जी को स्थानीय लोग बड़े सिद्ध व त्रिकालदर्शी मानते थे। नीमा- नीरु स्वामी जी के आश्रम गये, किंतु इन लोगों को वहाँ प्रवेश नहीं मिला, क्योंकि स्वामी जी के आश्रम में हिंदूओं की भी बहुत- सी जातियों को प्रवेश नहीं मिलता था। कहा जाता है कि स्वामी जी शुद्रो को देखना भी नहीं चाहते थे। नीमा- नीरु तो मुसलमान थे। मिलने का कोई अवसर न देखकर इनदोनों ने अपनी बात दूसरे व्यक्ति के माध्यम से स्वामीजी के पास पहुँचायी। स्वामी जी ने ध्यान धर कर बतलाया कि एक कोरी ( कुमारी ) बछिया लाकर बालक की दृष्टि के सामने खड़ी कर दो। उस बछिया से जो दूध निकलेगा, वह दूध बालक को पिलाने से वह पियेगा। नीमा और नीरु ने ऐसा ही किया। उस दिन से बालक कबीर दूध पीने लगा।

History of Varanasi

Varanasi is one of the oldest living cities of the world. It can rightly lay claim to being a confluence of cultures and a repository of history. Known as Benaras and Kashi, the city on the banks of the holy Ganga is located in Uttar Pradesh, about 320 kilometers from Delhi. For Hindus it is one of the holiest of the seven sacred cities. Jains revere the city. Buddhists consider it an important pilgrimage spot. Benaras silk is the pride of India with an ancient tradition behind it.

Contact us

Phone Number

8177000070, 8076918865

Office Address

Kabir prakatya sthali (Shri Sadguru Kabir Seva sansthan), Purana Kabir Math, Lahartara, Varanasi, PIN - 221002.